
हर कोई एक टुकड़ा रखना चाहता है मेरा
अपने पास
पर कोई पुरा पुरा नहीं
हर किसी को खुशी की धूप चाहिए
मेरे दुख की आंच नहीं
जैसे हर कोई बांध के
साथ खिंचना चाहता है
किसी को हाथ महसुस नहीं करना
थोड़ा ठहर कर
हर कोई भाग दौड़ में लगा है
किसी को शाम नहीं देखना
किसी को घास पर चमकी धूप नहीं देखना
हर कोई पानी के लहरों की जल्दी जल्दी में है
जैसे कोई आखिरी बस पकड़नी हो
मेरे कई हिस्से हो गए है ऐसे
बंट बंट कर
मुझे वो आखिरी बस नहीं पकड़ना है
मुझे झील के पानी की तरह अब ठहर जाना है
किसी शहर के बिचो बीच
जिंदगी कैसे बवंडर हो गई है
कितने शहर तबाह हो गए
कितनी इमरतें ढह गई
कितना समान खो गया
अब मुझे कहीं नहीं जाना
किसी को अपना टुकड़ा नहीं देना
किसी को झूठ से तकलीफ है
तो किसी को सच से
कोई सुंदर हिसा चाहता है
कोई मुलायम नर्म एहसास वाला हिसा
किसी को आदत से मुश्किल है
किसी को आदतों से
कई दरवाजे है
कई खिड़कियाँ और झरोखे है
एक रास्ता नहीं है
बाहर से सुंदर कोमल
अंदर से पत्थर जैसा कुछ रह गया है
मेरा समय हो गया अब
भूल जाना बेहतर है
अंजान बनने से बेहतर
जो बचा हुआ है
उस हिससे के साथ सफर समाप्त होने वाला है
अन्तिम नज़रों से देख रही हूँ
बाकी सब हिस्से मुरझाने वाले हैं
जहां जहां है
सब गयाब होने वाला है
23rd Aug, 2022
16:43 pm